Saturday, November 20, 2010

जानिये ये हैं सुपर कम्प्यूटर...


तेज गति से दौड़ रही आज की इस दुनिया में सब-कुछ कम्प्यूटर पर केंद्रित है। इसीलिये कम्प्यूटरों की गति भी बढ़ रही है। देशों में प्रतिस्पर्धा है कि कौन कितनी तेज गति का कम्प्यूटर बनाता है। इसी होड़ में विजय पाते हुए चीन ने तिहान्हे-1 ए सुपर कम्प्यूटर का अविष्कार किया है। तिहान्हे का हिंदी में शाब्दिक अर्थ है आकाशगंगा। 18 नवम्बर को बीजिंग में इसका अनावरण किया गया। इन कंप्यूटरों की रैंकिंग निर्धारित करने वाली टेन्नसी स्थित प्रयोगशाला के वैज्ञानिक जैक जोंगरा के मुताबिक, यह कम्प्यूटर शीर्ष स्थान का हकदार है। यह वर्तमान में सर्वाधिक तेज माने जाने वाले अमेरिकी सुपर कम्प्यूटर जगुआर से 1.4 गुना अधिक है। इस श्रेणी के कम्प्यूटरों के मामले में चीन के साथ ही अमेरिका, जापान, फ्रांस और जर्मनी सबसे आगे हैं। शीर्ष-10 की सूची में अमेरिका के पांच, चीन के दो और फ्रांस, जापान और जर्मनी का एक-एक सुपर कम्प्यूटर है। भारत का सुपर कम्प्यूटर एका 47वें स्थान पर है। हमारे तीन और सुपर कम्प्यूटर शीर्ष-500 की सूची में 136, 297 और 489 वें पायदान पर हैं।
चीन ने सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर
चीन ने अमेरिका की भांति दुनिया का सबसे तेज कम्प्यूटर बना लिया है। 14 नवम्बर को जारी एक सूची में दुनिया के 500 सुपर कम्प्यूटरों में चीन के तिहान्हे-1ए को शीर्ष स्थान दिया गया जो प्रति सेकेंड 2.67 क्वाड्रिलियंस गणनाएं कर सकता है। यह कम्प्यूटर संसार के तेज सुपर कंप्यूटर के लिए एक सर्व में सबसे तेज बताया जा रहा है। चीन से पहले अमेरिका ने सुपर कम्प्यूटर जगुआर ने बनाया था। सुपर कम्प्यूटर की रैंकिंग को निर्धारित करने वाले टेन्नेसी स्थित प्रयोगशाला के कम्प्यूटर वैज्ञानिक जैक डोंगरा ने कहा कि चीन द्वारा बनाया गया यह कम्प्यूटर शीर्ष स्थान पर रहने का हकदार है। चीन के उत्तरी तटीय शहर तियानजिन स्थित नेशनल सुपर कम्प्यूटर सेंटर में तियान्हे 1 ने प्रति सेकंड 2507 ट्रिलियन गणना करके यह मुकाम हासिल किया। इस कम्प्यूटर को नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नॉलॉजी ने विकसित किया है जिसने इसे स्वदेश निर्मित फितेंग-1000 सीपीयू से सुसज्जित किया है।
क्या होता है सुपर कम्प्यूटर
यह ऐसा कम्प्यूटर है जो सामान्य कम्प्यूटरों की तुलना में काफी तेज गति से चलता है। पैरेलल प्रोसेसिंग के सिद्धांत पर काम करने वाले सुपर कम्प्यूटर 32 या 64 पैरेलल सर्किट्स में कार्यरत कई कम्प्यूटरों को जोड़कर बनाए जाते हैं। इन्हें इनकी काम करने की गति से परिभाषित किया जाता है। वर्तमान में वे कम्प्यूटर जिनकी कार्य क्षमता 500 मेगा फ्लाप्स और मेमोरी कम से कम 52 मेगा बाइट हो, सुपर कम्प्यूटर कहलाते हैं। पैरेलल प्रोसेसिंग तकनीक में जोड़े गए सारे माइक्रो प्रोसेसर किसी भी समस्या को भागों में विभाजित कर उस पर एकसाथ कार्य करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया से गणनाओं की क्षमता पांच अरब प्रति सेकेंड सुनिश्चित हो जाती है। शुरुआती सुपर कम्प्यूटरों में वेक्टर प्रोसेसिंग का प्रयोग होता था जो अपेक्षाकृत काफी महंगी थी। वर्तमान के सुपर कम्प्यूटरों में जहां गीगा फ्लाप्स, टेरा फ्लाप्स और पेटा फ्लाप्स की गति पाई जाती है पर पुराने दौर में यह गति मेगा फ्लाप्स ही थी। इसके साथ ही सुपर कम्प्यूटरों में उच्च भण्डारण घनत्व वाली मैग्नेटिक बबल मेमोरी या आवेशित कपल्ड युक्तियों वाली मेमोरी का प्रयोग होता है, जिनकी मदद से छोटे से स्थान में सूचनाओं का बड़ा भण्डार एकत्र किया जा सकता है।
सुपर कम्प्यूटर का इतिहास
पहली बार सुपर कम्प्यूटर शब्द का प्रयोग 1929 में आईबीएम के बनाए टैबुलेटर्स के लिए हुआ था। उस समय यह आधुनिक तकनीक का प्रतिनिधित्व करते थे। अमेरिका के कंट्रोल डाटा कारपोरेशन (सीडीसी) में कार्यरत इलेक्ट्रिकल इंजीनियर सीमौर क्रे ने पहला सुपर कम्प्यूटर डिजाइन किया था। साठ के दशक से विकसित होना शुरू हुआ यह सुपर कम्प्यूटर सत्तर के दशक में प्रस्तुत हो सका। अस्सी के दशक तक इस क्षेत्र में सीडीसी का वर्चस्व रहा हालांकि सीमौर 1985-90 तक सुपर कम्प्यूटर मार्केट में छाए रहे। सीडीसी के बनाए सुपर कम्प्यूटर उस समय के सामान्य कम्प्यूटर की तुलना में महज दस गुना तेज गणना करते थे। यह क्षमता उनमें लगे तेज स्केलर प्रोसेसर्स की वजह से थी। अस्सी के दशक में ही सुपर कम्प्यूटरों में वेक्टर प्रोसेसर लगाए जाने लगे। नब्बे के दशक में चार से 16 प्रोसेसर्स समानांतर एक साथ प्रयोग किए जाने लगे। आज समानांतर डिजाइन स्टॉक में उपलब्ध सर्वर श्रेणी के माइक्रो प्रोसेसर्स पर आधारित हो गई है।
इसके उपयोग
सुपर कम्प्यूटर का सबसे अहम कार्य वैज्ञानिक कम्प्यूटिंग होता है। अत्यंत जटिल कार्यों में गणना के लिए भी इसका उपयोग हो रहा है, जैसे जलवायु शोध, क्वांटम भौतिकी, मौसम पूर्वानुमान, पॉलिमर रिसर्च, मॉलिक्यूलर मॉडेलिंग और फिजिकल सिमुलेशंस। क्वांटम मेकेनिक्स में विभिन्न आंकड़ों का विश्लेषण यह आसानी से कर देते हैं और परमाण्विक स्तर पर किसी पदार्थ का अध्ययन भी संभव है। हालांकि इसका सर्वाधिक प्रयोग मौसम पूर्वानुमान के लिए हो रहा है और दुनिया के सबसे ज्यादा सुपर कम्प्यूटर मौसम का पूर्वानुमान लगाने में ही प्रयुक्त हो रहे हैं। वैश्विक जलवायु मापने में भी यह इस्तेमाल हो रहे हैं। अंतरिक्ष कार्यक्रम भी सुपर कम्प्यूटरों पर ही आश्रित हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (नासा) के पास शक्तिशाली सुपर कम्प्यूटर है जिसका प्रयोग अंतरिक्ष मिशनों को सटीकता से पूरा करने में हो रहा है।
कहां है भारत
सुपर कम्प्यूटर के क्षेत्र में भारत को अभी बहुत-कुछ करना बाकी है। भारत के पास पांच सुपर कम्प्यूटर हैं जो सक्रियता से काम कर रहे हैं। ये कम्प्यूटर इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) कानपुर, सेंटर फॉर डेवलपमेंट आफ एडवांस कम्प्यूटिंग (सीडैक) और निजी कम्पनी ह्यूलेट पैकर्ड (एचपी) के पास हैं। एचपी के सहयोग से तीन करोड़ डॉलर की लागत से तैयार टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के एका सुपर कम्प्यूटर वर्ष 2008 में जब स्थापित किया गया था, तब उसे गति के मामले में उसे विश्व में नौवां स्थान प्राप्त हुआ था। एका की सबसे ज्यादा गति 0.172 पेटा फ्लॉप्स है। टीसीएस अब एका-प्लस बनाने में जुटा है। एका के बाद भारत ने अन्नपूर्णा सुपर कम्प्यूटर विकसित किया, जिसे चेन्नई के इंस्टीट्यूट आफ मैथमेटिकल साइंस ने बनाया था। इसकी पीक कम्प्यूटेशन स्पीड थी 12 टेराफ्लॉप। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के बनाए पेस का मुख्य उपयोग मिसाइल और लड़ाकू विमानों की डिजाइनिंग में किया जा रहा है। भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान ने अनुपम नामक सुपर कम्प्यूटर विकसित किया है जबकि सीडैक के ऐसे कम्प्यूटर को परम नाम दिया गया था। 1998 में विकसित परम की गति 100 गीगा फ्लॉप्स है और यह एक सेकेंड में एक खबर गणितीय गणना करने में सक्षम है। इसके साथ ही सीडैक ने 2003 में परम पदम विकसित किया, जिसके साथ ही भारत उन देशों की पंक्ति में खड़ा हो गया जिनके पास टेरा फ्लॉप्स गणना की क्षमता वाले सुपर कम्प्यूटर हैं। तब तक अमेरिका, चीन, जापान और इजराइल के पास ऐसे सुपर कम्प्यूटर थे। सीडैक ने ही भारत का पहला कम कीमत का परम अनंत सुपर कम्प्यूटर विकसित किया है।
शुगर क्यूब साइज की तैयारी
आईबीएम की कोशिश दुनिया के सबसे छोटे सुपर कम्प्यूटर का विकास करने की है। उसके वैज्ञानिकों का दावा है कि वह अगले 10 से 15 वर्ष में शुगर क्यूब साइज का कम्प्यूटर बना लेंगे। कोशिश इसके इस्तेमाल में ऊर्जा के बेहद कम उपयोग की भी होगी। इस तकनीक को अक्वास्टार नाम दिया गया है। इस तकनीक विकास वास्तव में सुपरकम्प्यूटरों का कद कम करने के लिए नहीं बल्कि ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए किया जा रहा है। भविष्य में कौन सा सिस्टम कितनी कम ऊर्जा का दोहन करता है यह काफी मायने रखेगा। आईबीएम के डॉ. मिशेल और उनकी टीम ने अक्वास्टार का सफल परीक्षण किया है। इस सिस्टम के अंतर्गत एक बडॆ फ्रीज के रैक में प्रोसेसरों को एक के ऊपर एक रखा गया और उनके बीच बहते पानी ने उनकी गर्मी को सोख कर सिस्टम को चालू रखा। इससे करीब 50% बिजली की बचत हुई।

Saturday, November 13, 2010

क्या है ब्ल्यू कॉर्नर नोटिस?

ब्ल्यू कॉर्नर नोटिस का मकसद इंटरपोल के सदस्य देशों से संबंधित व्यक्ति, जिसके विरुद्ध यह नोटिस जारी किया गया है, से संबंधित व्यक्तिगत और उसकी गतिविधियां आदि अन्य जानकारियां जुटाना होता है। किसी व्यक्ति को ब्लू कॉर्नर नोटिस दिए का मतलब है कि उसकी यात्राओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाना। इसे सामान्य भाषा में तलाश नोटिस कहा जाता है, हालांकि जिस देश में वह रह रहा है, वहां उसे रेड कॉर्नर नोटिस की तरह गिरफ्तार नहीं किया जाता बल्कि सामान्य रूप में संबंधित देश को पूरी सूचना दे दी जाती है। लेकिन जरूरत पड़ने पर आरोपी को वापस लाने के लिए इस नोटिस के तहत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है। जबकि ब्ल्यू अलर्ट का मतलब है कि उस व्यक्ति विदेश यात्रा से पहले जांच-पड़ताल या पूछताछ की जा सकती है। उसे एयरपोर्ट पर उड़ान के दौरान गिरफ्तार भी किया जा सकता है। हाल ही में चर्चा में आए इंडियन प्रीमियर क्रिकेट लीग के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी पर फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट के उल्लंघन का आरोप है।
कौन जारी करता है यह नोटिस
इंटरपोल(Interpol) के स्तर से यह नोटिस जारी किया जाता है, जिसका पूरा नाम है International Criminal Police Organization। यह अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो विभिन्न देशों के पुलिस के बीच सहयोग करके अंतर्राष्ट्रीय अपराधियों को पकड़ती है। इसका मुख्यालय फ्रांस के लियोन शहर में स्थित है। यह नोटिस इंटरपोल की अधिकृत भाषा में जारी किए जाते हैं।
कौन-कौन से होते हैं नोटिस
इंटरपोल सात तरह के नोटिस जारी करती है जिनमें छह तो उनके रंगों से पहचाने जाते हैं, यह हैं रेड, ब्ल्यू, ओरेंज, येलो, ग्रीन और ब्लैक जबकि सातवें का नाम है इंटरपोल-यूएन सिक्योरिटी काउंसिल स्पेशल नोटिस। सन 2009 में इंटरपोल ने 7290 नोटिस जारी किए थे। रेड कॉर्नर नोटिस अस्थाई आग्रह होता है जिसमें व्यक्ति को प्रत्यर्पण के लिए गिरफ्तार करने को कहा जाता है। ओरेंज नोटिस पुलिस और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को पार्सल बम आदि विभिन्न प्रकार के खतरों से आगाह करने के लिए जारी होता है। येलो नोटिस उन लोगों की तलाश करने का आग्रह है जो विशेष रूप से कम उम्र या अपनी पहचान बता पाने में अक्षम होते हैं। ग्रीन नोटिस उन अपराधियों के बारे में चेतावनी या जानकारी के रूप में होता है जिनके अन्य देशों में भी इसी प्रकार के अपराध करने की आशंका होती है। ब्लैक नोटिस अज्ञात शवों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से जारी होता है। इंटरपोल-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद विशेष नोटिस आतंकवादी संगठन अल कायदा और तालिबान के संबंध में है। 2005 में सुरक्षा परिषद के विशेष आग्रह पर शुरू किए गए इस नोटिस का मकसद आतंकी खतरे के विरुद्ध समय पूर्व एकजुटता और तैयारियां हैं।

Thursday, November 11, 2010

राष्ट्रमंडल खेलों में भारतः 2010 के स्वर्ण पदक विजेता

2010 में भारत के स्वर्ण पदक
गगन नारंग-अभिनव बिंद्रा- (10 मीटर एयर राइफल पुरुष निशानेबाजी)
गगन नारंग-इमरान हसन खान- (50 मीटर एयर राइफल-3 पोजीशन निशानेबाजी पुरुष)
गगन नारंग- (10 मीटर एयर रायफल व्यक्तिगत पुरुष निशानेबाजी)
गगन नारंग- (50 मीटर रायफल व्यक्तिगत निशानेबाजी)
अनीशा सैय्यद-राही सर्नोबत- (25 मीटर पिस्टल महिला निशानेबाजी)
विजय कुमार-गुरुप्रीत सिंह- (25 मीटर रेपिड फायर पिस्टल युगल)
ओंकार सिंह-गुरुप्रीत सिंह- (10 मीटर एयर पिस्टल पुरुष निशानेबाजी)
ओंकार सिंह (10 मीटर एयर पिस्टल पुरुष एकल निशानेबाजी)
विजय कुमार (25 मीटर रेपिड फायर व्यक्तिगत निशानेबाजी)
विजय कुमार-हरप्रीत सिंह (25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल निशानेबाजी)
हरप्रीत सिंह (25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल व्यक्तिगत निशानेबाजी)
हिना सिद्धू-अन्नूराज सिंह (10 मीटर एयरपिस्टल महिला निशानेबाजी)
अनीशा सैय्यद- (25 मीटर पिस्टल महिला एकल निशानेबाजी)
ओंकार सिंह- (25 मीटर पिस्टल व्यक्तिगत निशानेबाजी)
राजेंद्र कुमार- (कुश्ती ग्रीको रोमन पुरुष 55 किलोग्राम)
रविंद्र सिंह- (कुश्ती ग्रीको रोमन पुरुष 60 किलोग्राम)
संजय कुमार- (कुश्ती ग्रीको रोमन पुरुष 74 किलोग्राम)
अनिल कुमार- (कुश्ती ग्रीको रोमन पुरुष 96 किलोग्राम)
गीता सिंह फोगट- (कुश्ती महिला 55 किग्रा फ्रीस्टाइल)
अलका तोमर- (कुश्ती महिला 59 किग्रा फ्रीस्टाइल)
अनीता तोमर- (कुश्ती महिला 67 किग्रा फ्रीस्टाइल)
योगेश्वर दत्त- (कुश्ती पुरुष 60 किग्रा फ्रीस्टाइल)
सुशील कुमार- (कुश्ती पुरुष 66 किग्रा फ्रीस्टाइल)
नर सिंह पंचम यादव- (कुश्ती पुरुष 74 किग्रा फ्रीस्टाइल)
यमनम रेनूबाला चानू (भारोत्तोलन महिला 58 किग्रा)
कतूलू रवि कुमार (भारोत्तोलन पुरुष 69 किग्रा)
सुरंजय सिंह- (मुक्केबाजी फ्लाईवेट पुरुष 52 किग्रा)
परमजीत समोटा - (मुक्केबाजी लाइट सुपर हेवीवेट पुरुष 52 किग्रा)
मनोज कुमार - (मुक्केबाजी लाइट वेल्टरवेट पुरुष 64 किग्रा)
सायना नेहवाल- (बैडमिण्टन महिला एकल)
अश्वनी पोनप्पा-ज्वाला गट्टा- (बैडमिण्टन महिला युगल)
दीपिका कुमारी-डोला बनर्जी-बोम्बैयाला देवी लैसरामः (तीरंदाजी महिला रिकर्व टीम)
दीपिका कुमारीः (तीरंदाजी रिकर्व महिला व्यक्तिगत)
राहुल बनर्जीः (तीरंदाजी रिकर्व व्यक्तिगत पुरुष)
सोमदेव देवबर्मनः (टेनिस, पुरुष एकल)
कृष्णा पूनियाः (एथलेटिक्स, महिला डिस्कस थ्रो)
मंजीत कौर, सिनी जोस, अश्वनी अन्कुजी, मंदीप कौरः (एथलेटिक्स, महिला 4 गुणा 400 मीटर रिले)
शुभाजीत साहा, अंचता शरत कमलः (टेबिल टेनिस, पुरुष युगल)