Friday, October 22, 2010

दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार- नोबेल

यह सच है कि पुरस्कार पाने की चाहत में कोई शोध या अविष्कार नहीं किया जाता, फिर भी मेहनत के लिए पुरस्कार पाना किसे पसंद नहीं होता। नोबेल अवार्ड दुनियाभर में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। यह एक ऐसा पुरस्कार है जिसे पाने का सपना हर वैज्ञानिक देखता है। नोबेल पुरस्कार शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिए जाते हैं। नोबेल पुरस्कार के तहत पदक, नोबेल प्रशस्ति पत्र और दस बिलियन क्रोनर (स्वीडन की मुद्रा) दिए जाते हैं। वर्ष 1901 में पहले नोबेल पुरस्कार विजेता को 150782 स्वीडिश क्रोन दिए गए। यह राशि परिवर्तित होती रहती है लेकिन 2001 से इस राशि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इस पुरस्कार की शुरुआत स्वीडिश रसायनशास्त्री और उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में की गई और इसे उनकी पुण्यतिथि 10 दिसम्बर को प्रदान किया जाता है। नोबेल पुरस्कारों की स्थापना अल्फ्रेड के वसीयतनामे के अनुसार 1897 में हुई। उन्होंने ज्ञान के पांच क्षेत्रों में मानवता को लाभ पहुंचाने के लिए पुरस्कारों की स्थापना की इच्छा जताई थी। नोबेल फाउंडेशन की स्थापना 19 जून 1900 को हुई और पहली बार 1901 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार से जुड़े मामलों की देखरेख नोबेल फाउंडेशन के जिम्मे है। शांति का नोबेल व्यक्ति के अलावा किसी संस्था को भी प्रदान किया जा सकता है जबकि अन्य पुरस्कार सिर्फ व्यक्तियों को दिए जाते हैं। इन पुरस्कारों के चयन में नोबेल फाउंडेशन की कोई भूमिका नहीं होती।
कौन थे अल्फ्रेड नोबेल
रसायन शास्त्री अल्फ्रेड बर्नाड नोबेल का जन्म 21 अक्टूबर 1833 को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ था। वे आठ साल की आयु में परिवार के साथ रूस चले गए। उन्होंने कुल 355 अविष्कार किए, जिनमें डायनामाइट (1867) का अविष्कार भी शामिल है। 10 दिसम्बर 1896 को मृत्यु से पूर्व उन्होंने अपनी विपुल संपत्ति का एक बड़ा भाग एक ट्रस्ट के लिए सुरक्षित रख दिया था। उनकी इच्छा थी कि इस राशि के ब्याज से हर वर्ष उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिनका काम मानवजाति के लिए कल्याणकारी हो। स्वीडिश बैंक में जमा इस राशि के ब्याज से नोबेल फाउंडेशन यह पुरस्कार प्रदान करता है।
कौन करता है चुनाव
अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार चार संस्थान यह पुरस्कार प्रदान करते हैं। स्टॉकहोम की द रॉयल एकेडमी आफ साइंसेज भौतकी और अर्थशास्त्र का पुरस्कार देती है जबकि स्वीडिश एकेडमी और द कैरोलिंस्कार इंस्टीट्यूट को चिकित्सा का नोबेल प्रदान करने की जिम्मेदारी मिली है। ओस्लो में स्थित द नॉर्वियन नोबेल कमेटी शांति का नोबेल पुरस्कार देती है। नोबेल पुरस्कार के विजेता का चयन करने के लिए गहन शोध का सहारा लिया जाता है। चयन प्रक्रिया एक वर्ष पहले ही शुरू हो जाती है। पुरस्कार देने वाले संस्थान करीब छह हजार लोगों को योग्य व्यक्तियों के नाम प्रस्तावित करने के लिए आमंत्रित करते हैं। इन लोगों में नोबेल पुरस्कार प्राप्त लोग, विज्ञान जगत में महत्वपूर्ण काम करने वाले और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के सदस्य शामिल होते हैं। प्राप्त नामों की छंटनी के बाद दावेदारों की सूची बनाई जाती है। कोई व्यक्ति अपने नाम को खुद प्रस्तावित नहीं कर सकता, न ही किसी मृत व्यक्ति का इन पुरस्कारों के लिए नामांकन किया जा सकता है। हालांकि नामांकन के वक्त जीवित व्यक्ति को मरणोपरांत नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जा सकता है। एक नोबेल समिति हर पुरस्कार के लिए प्राप्त नामों की हर वर्ष फरवरी से समीक्षा प्रारंभ करती है और विशेषज्ञों के सहयोग से पुरस्कार विजेताओं के नाम तय करती है। यह समिति सितम्बर के अंत तक अपनी सिफारिश पुरस्कार देने वाले संस्थानों को सौंप देती है, जिसे आम तौर पर मान भी लिया जाता है हालांकि इसे मानने की कोई बाध्यता नहीं है।
विवादित रह चुका है पुरस्कार
2010 में शांति के नोबेल विजेता ली ओ शाओ बी का चीन सरकार द्वारा विरोध नई बात नहीं है। इससे पूर्व भी यह पुरस्कार विवादित हो चुका है। 2009 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को पुरस्कृत किए जाने की दुनियाभर में आलोचना हुई थी। 1905 में अमेरिकी राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट, 1973 में अमेरिकी रक्षा सचिव हेनरी किसिंजर, 1978 में कैम्प डेविड समझौते के लिए मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति अनवर सादात को यह पुरस्कार आलोचना का विषय बना था। रूजवेल्ट पर आरोप था कि उन्होंने फिलीपींस में विद्रोह के विरुद्ध बल प्रयोग किया। वहीं किसिंजर पर कंबोडिया में बमबारी कराने और सादात के विरुद्ध इजरायल से युद्ध का आरोप समिति ने नजरअंदाज कर दिया। 2007 में अमेरिकी उपराष्ट्रपति अल गोर पर्यावरण संरक्षण पर यह पुरस्कार मिला जबकि उनका इस क्षेत्र से कोई वास्ता नहीं था। इसी तरह 1992 में अपनी आत्मकथा के लिए साहित्य का नोबेल पाने वाले राइगोबेटा मेंचु पर यह आरोप लगा कि आत्मकथा में तमाम असत्य बातें लिखी गई हैं।
भारतीय और भारतीय मूल के विजेता
रवींद्रनाथ ठाकुर (1861-1943) : वह साहित्य का नोबेल पाने वाले पहले भारतीय थे। उन्हें 1913 का यह पुरस्कार उनकी रचना गीतांजलि के लिए यह पुरस्कार दिया गया।
चंद्रशेखर वेंकटरमन (1888-1970) : वह भौतिकी का नोबेल पाने वाले पहले भारतीय थे। प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिए वर्ष 1930 में उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है।
हरगोबिंद खुराना (1922-1979): खुराना को चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया। ऐमिनो अम्लों की संरचना तथा आनुवांशिकीय गुणों का संबंध समझने के लिए उनकी खोज के लिए उन्हें अन्य दो अमेरिकी वैज्ञानिकों के साथ सन 1968 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
मदर टेरेसा (1910-1997): मदर टेरेसा को 1979 में शांति का नोबेल अवार्ड दिया गया। हालांकि वह अल्बानिया में जन्मीं थीं लेकिन 1928 से उन्होंने कलकत्ता में सेवाकार्य आरंभ कर दिए। सेवा क्षेत्र भारत होने की वजह से उन्हें भारतीयों की श्रेणी में रखा जाता है।
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (1910-1995): उन्हें 1983 में भौतिक शास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन्हें यह पुरस्कार सितारों की संरचना और क्रमिक विकास संबंधी भौतिकीय प्रक्रियाओं के अध्ययन के लिए मिला।
अमर्त्य सेन (1933): अर्थशास्त्र में नोबेल पाने वाले सेन पहले एशियाई हैं। उन्हें 1998 में लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र की अवधारणा के प्रतिपादन के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया।
वीएस नॉयपॉल (1932): विद्याधर सूरजप्रसाद नॉयपॉल को 2001 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया। उत्तर औपनिवेशिक लेखन के स्तंभ नॉयपॉल की चर्चित पुस्तकें हैं इन ए फ्री स्टेट और हाउस आफ मिस्टर विश्वास। वह त्रिनिदाद के नागरिक हैं।
आरके पचौरी (1940): तकनीकी तौर पर इंटर गवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी)को 2007 में शांति का नोबेल दिया गया लेकिन पैनल का अध्यक्ष होने के नाते आरके पचौरी ने इसे ग्रहण किया। पुरस्कार पर्यावरण में बदलाव के मानव निर्मित कारणों के प्रतिपादन और प्रसार के लिए दिया गया।
वेंकटरमन रामकृष्णन (1952): इन्हें 2009 में रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया। भारत में जन्मे पर अब अमेरिकी नागरिक रामचंद्रन को राइबोसोम की संरचना और कार्यप्रणाली पर किए महत्वपूर्ण अध्ययन के लिए यह पुरस्कार मिला।

उल्लेखनीय बिंदु
** चार नोबेल पुरस्कार विजेताओं को उनकी सरकारों ने पुरस्कार स्वीकार करने की अनुमति नहीं दी। जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने तीन जर्मनों रिचर्ड कुहन (रसायनशास्त्र, 1938), एडोल्फ बुटेनंट (रसायनशास्त्र, 1939) एवं गरहार्ड डोमाग्क (औषधि, 1939) और सोवियत यूनियन की सरकार ने बोरिस पास्टरनाक (साहित्य, 1958) को पुरस्कार नहीं लेने के लिए दबाव डाला।
** दो नोबेल पुरस्कार विजेताओं जीन-पॉल सारत्रे (साहित्य, 1964) और ली डक थो (शांति, 1973) ने पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया। सारत्रे ने किसी भी आधिकारिक सम्मान को लेने से इंकार किया तो ली डक थो ने वियतनाम में खराब स्थिति के कारण पुरस्कार से मना किया।
** राष्ट्रपिता गांधी जी को 1937, 1938, 1939 और 1948 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया। कहा जाता है कि वह 1948 में पुरस्कार के बेहद करीब थे लेकिन उनकी हत्या कर दी गई। इस पुरस्कार के लिए चूंकि मात्र जीवित व्यक्ति का ही चयन किया जाता है इसलिये उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिल सका। 1948 में शांति के नोबेल के लिए किसी को योग्य नहीं माना गया।
** छह विजेताओं ने एक से अधिक बार नोबेल पुरस्कार जीता, जिनमें द इंटरनेशनल कमिटी ऑफ द रेड क्रॉस सोसाइटी ने तीन बार नोबेल शांति पुरस्कार जीता।
** पहली महिला नोबेल पुरस्कार विजेता मेरी क्यूरी थी, जिन्हें 1903 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
** वर्ष 1940 और 1942 में द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण पुरस्कार नहीं दिए गए।
वर्ष 2010 के नोबेल पुरस्कार
शांतिः चीन के लिए लीओ शाओ बी को। बी को मानवाधिकार संरक्षण के लिए उनके लंबे संघर्ष पर दिया गया है। वे इन दिनों चीन की जेल में कैद हैं। वह उग्र टकराव के बजाए शांति ढंग से राजनीतिक बदलाव के पक्षधर हैं। इस पुरस्कार के लिए रिकॉर्ड 37 नामांकन आए, ली के नाम का तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने भी समर्थन किया था।
अर्थशास्त्रः अमेरिका के पीटर डायमण्ड, डेल मार्टनसन और ब्रिटेन के क्रिस्टोफर पिसारिड्स को संयुक्त रूप से। उन्हें यह पुरस्कार बेरोजगारी पर आर्थिक नीतियों के प्रभाव की व्याख्या करने वाले सिद्धांत के विकास के लिए दिया गया है। इनके द्वारा विकसित मॉडल से यह समझने में मदद मिलती है कि किस तरह के नियमन और आर्थिक नीतियों से बेरोजगारी, रोजगार और वेतन प्रभावित होते हैं।
साहित्यः स्पेनिश भाषा के प्रसिद्ध लेखक पेरू के मारिओ वर्गास लोसा को। लोसा के लेखन में संघर्ष और वंचित तबकों की दास्तां दिखती है। वर्ष 1982 में कोलंबियाई लेखक गेब्रियाल गार्सिया मार्खेज के बाद यह पुरस्कार पाने के वाले पहले दक्षिण अमेरिकी हैं। 1993 में स्पेन की नागरिकता स्वीकार करने वाले लोसो को स्पेनिश भाषा के प्रतिष्ठित सम्मान सर्वेन्तेस से भी सम्मानित किया जा चुका है।
चिकित्साः ब्रिटेन के डॉ. राबर्ट एडवर्ड्स को। एडवर्ड को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के अविष्कार के लिए मिला है। 1950 के दशक में रॉबर्ट के किए प्रयासों के परिणामस्वरूप 25 जुलाई 1978 को विश्व के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ। लुई ब्राउन नामक इस बेबी के बाद से अब तक दुनियाभर में 40 लाख बच्चों को जन्म हो चुका है।
रसायनशास्त्रः अमेरिका के रिचर्ड हेक और जापानी अनुसंधानकर्ता ई इची निगेशी एवं अकीरा सुजुकी को संयुक्त रूप से। उन्होंने ऐसी रासायनिक पद्धति विकसित की है जिससे वैज्ञानिक कैंसर की दवाओं का परीक्षण करने और कंप्यूटर के पतले स्क्रीन बनाने में सक्षम हुए। यह पैलाडियन कैटेलाइज्ड क्रॉस कप्लिंग इन आर्गेनिक सिस्टम्स के नाम से जाना जाता है।
भौतिकीः रूस में जन्मे आंद्रे जीन और कोंस्तांतिन नोवोसेलोव को संयुक्त रूप से। पुरस्कार ग्रेफीन नामक नए पदार्थ की खोज के लिए मिला है जो इलेक्ट्रानिक्स क्रांति को नई दिशा दे सकते हैं। दोनों वैज्ञानिक ब्रिटेन में कार्यरत हैं। ग्रेफीन कार्बन की सूक्ष्म परत होती है जिसकी मोटाई एक अणु के बराबर होती है। व्यावहारिक तौर पर यह पारदर्शी और अच्छा सुचालक है। ग्रेफीन से इलेक्ट्रानिक सामान के लिए पारदर्शी टचस्क्रीन का निर्माण किया जा सकता है। प्रकाशीय पैनलों और सौर सेलों के उत्पादन में भी यह सहायक सिद्ध हो सकता है।

1 comment:

  1. सर , मै राकेश मिश्र आप के इस लाईन से काफी प्रभावित हुआ

    "चुनौतियां हैं और चुनौतियां जहां हैं, वही मज़ा है।"

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