Sunday, December 26, 2010

सरकोजी की यात्रा से भारत-फ्रांस में बढ़ी समझदारी

फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी चार दिवसीय यात्रा पर चार दिसम्बर को भारत आए। दशकों पुराने भारत-फ्रांस संबंधों में यह यात्रा बेहद महत्वपूर्ण पड़ाव मानी जा रही है। सरकोजी भारत यात्रा पर दूसरी बार आए। इससे पहले वह 2008 में गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि थे। सरकोजी और उनकी पत्नी कार्ला ब्रूनी ने अपनी यात्रा बंगलुरू से शुरु की और मुंबई पर खत्म। भारत के इन दोनों शहरों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व है। मुंबई आर्थिक राजधानी है और बंगलुरू को तकनीकी राजधानी कहा जाने लगा है। इस यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने भारत के साथ सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की पहल की। उनके साथ फ्रांसीसी मंत्रिमंडल के 6 मंत्री और विभिन्न कंपनियों के 70 मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल थे।
यात्रा का उद्देश्य-
भारत दौरे से फ्रांस यहां के व्यापार में अपनी और पकड़ बनाना चाहता था। इस तरह के विशाल शिष्टमंडल को साथ लाने का उद्देश्य आर्थिक मसलों पर आपसी विश्वास को बढ़ावा देना है। फ्रांस व भारत की वार्ताओं का मुख्य केंद्र परमाणु ऊर्जा एवं रक्षा समझौता रहा। ज्ञात हो कि भारत ने पहला परमाणु करार फ्रांस के साथ ही किया था। यह अमेररीका से हुए परमाणु करार से अधिक दूरगामी था और इसमें अमेरिकी करार की तरह शर्तें भी नहीं थोपी गयी थीं। निकोलस सरकोजी की इस यात्रा में उसी करार को आगे बढ़ाने की मंशा थी, जिसे काफी हद तक पूरा किया गया। फ्रांस से भारत के रिश्ते सदा से अच्छे रहे हैं। उस दौर में भी, जब अमेरिका समेत सारा पश्चिम हमारे खिलाफ था।
बढ़ा सहयोग-
भारत-फ्रांस के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए कुल सात समझौते हुए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है महाराष्ट्र के जैतपुर में परमाणु बिजली संयंत्र की फ्रांसीसी सहयोग से स्थापना। फ्रांसीसी कंपनी अरेवा और भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड के बीच 25 अरब डालर का बुनियादी समझौता हुआ। यह करार सबसे महत्वपूर्ण इसलिए माना जा रहा है कि इससे भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में थमे हुए पहिए फिर रफ्तार पकड़ते नजर आएंगे। अपनी बिजली की जरूरत पूरी करने के लिए पारंपरिक जैविक ईंधन की जगह नाभिकीय ऊर्जा का इस्तेमाल करने की भारत की कोशिश इस समझौते से पूरी होगी। इन महत्वपूर्ण समझौतों के अतिरिक्त निकोलस सरकोजी ने भारत को आधुनिक रक्षा तकनीक मुहैया कराने की इच्छा जताई। रूस का विमान मिग और फ्रांस का मिराज भारतीय सेना को सशक्त बनाते रहे हैं। सरकोजी ने भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता दिलाने की मंशा जाहिर की। इससे भारत सर्वाधिक उत्साहित हुआ है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मुलाकात में पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पनप रहे आतंकवाद पर भी चिंता जाहिर की। इनके अलावा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, शैक्षणिक सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हुई, जिसका लाभ इस देश के प्रतिभाशाली छात्रों को मिलेगा।
परमाणु सहयोग को महत्व-
फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने साझा संवाददाता सम्मेलन में भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता दिलाने में फ्रांसीसी सहयोग के मुद्दे को सर्वाधिक महत्व दिया, लेकिन व्यवहारतः इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा भारत और फ्रांस के बीच दो परमाणु रिएक्टर लगाने का सौदा ही था, जो 9.3 अरब डॉलर का है। परमाणु तकनीक में फ्रांस आगे है और जब सोवियत संघ और अमेरिका या वारसा संधि और नाटो देशों के बीच तनातनी का दौर था, तब फ्रांस शांतिपूर्ण कामों के लिए परमाणु तकनीक बेचने वाला सबसे बड़ा देश बन गया था। इधर भी अमेरिका से परमाणु करार होने और परमाणु दायित्व का मसला सुलझ जाने के बाद से ऐसे सौदों की उम्मीद की जा रही थी। भारत कुल 20 परमाणु संयंत्र लगाकर अपनी ऊर्जा की जरूरतों में आ रही कमी को पूरा करना चाहता है और फ्रांस से जो समझौता हुआ है, यह उसी का हिस्सा है। परमाणु बिजली को हमारी ऊर्जा की जरूरतों का विकल्प माना जा रहा है।

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